Tuesday, September 18, 2018

ससुरजी का श्राद्ध

एक दिन बाद
बहू को आया याद
अरे कल था ससुरजी का श्राद्ध
आधुनिका बहू ने क्या किया
डोमिनोस को फोन किया
और एक पिज्जा पंडितजी के यहां भिजवा दिया
ब्राहमण भोजन का ये मॉडर्न स्टाइल था
दक्षिणा के नाम पर कोक मोबाइल था
रात ससुरजी सपने में आये
थोड़े से मुस्कराए
बोले शुक्रिया
मरने के बाद ही सही, याद तो किया
पिज्जा अच्छा था, भले ही लेट आया
मैंने मेनका और रम्भा के साथ खाया
उन्हें भी पसंद आया
बहू बोली, अच्छा तो आप अप्सराओं के साथ खेल रहे है
और हम यहां कितनी मुसीबतें झेल रहे है
महगाई का दौर बढ़ता ही जाता है
पिज्जा भी चार 400 में आता है
ससुरजी बोले हमें सब खबर है भले ही दूर बैठे हैं
लेट हो जाने पर डोमिनो वाले भी पिज्जा फ्री में देते हैं।।


--- अज्ञात

Thursday, December 19, 2013

क्षणिकाये



बाबू (CLERK)

फाइलों के बोझ से लदा एक श्रमजीवी,
जिसे दफ्तर में साहब फटकारे
और घर में बीवी । ।


डॉक्टरनी

डॉक्टर साहब ने अपनी अनपढ़ पत्नी को
गाँव से शहर बुलवाया
और बिना किसी डिग्री के ही डॉक्टरनी
कहलवाया । ।


प्रेम

बचपन में मुफ्त मिलता है,
जवानी में कमाना पड़ता है,
बुढ़ापे में माँगना पड़ता है !! 




                                                          -अज्ञात

Monday, December 2, 2013

नेता


नेता भाषण देकर आया,
नौकर पर आकर गुराया ,
में आया हू थका थकाया,
पेर दबाओ राम लुभाया।
राम लुभाया बोला मालिक
एक जरूरी बात बता दू,
भाषण से तो गला थका है ,
आप कहे तो गला दबा दू । ।

                               -By  Popular Poet Shri Surendra Sharma 

Saturday, November 30, 2013

चुनाव

 

चुनावी दंगल का फिर से हो गया आगाज ,
और एक नेता आए हमारे पास।
बोले, इस बार तुम मुझे वोट देना
और बदले में नौकरी का तोहफा लेना,
सत्ता में आए तो विकास की गंगा बहाएँगे ,
रोजगार दिला कर सबकी गरीबी मिटाएँगे ।
हम बोले -
5 साल पहले भी तो आप ही आए थे,
जनता को बहलाकर, झूठे सपने दिखलाकर,
हमसे वोट डलवाये थे ।
फिर सत्ता में आते ही आपने तो अपना रंग दिखा दिया,
गरीबी तो मिटी नहीं गरीबो को मिटा दिया ।
नौकरी तो दूर की बात, हमारा घर तक जला दिया,
विकास की गंगा तो छोड़ो, गंगा माँ को भी कलुषित बना दिया । ।
मुफ्त में चावल बटवा रहे हो ,
लोगो को भिखारी बना रहे हो ,
और बच्चो को लैपटाप बांटकर ,
हमे बुद्धू बना रहे हो । ।
इस बार झांसे में नहीं आएंगे,
वोट जो तुम्हें दिया तो पाँच साल फिर दुख पाएंगे ।
हाँ, वोट डालने जरूर जाएँगे,
पर गरीबो का मसीहा लाएँगे । ।
वोट उसे देंगे जो सही मायनों में विकास लाये ,
तुम्हारी तरह व्यर्थ के गाल न बजाए । ।   

                                                       - स्वरचित